गुरुवार, 19 नवंबर 2009

MANDIR VIEW


शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

इतिहास

राजस्थान के जालोर जिले का भीनमाल नगर का पुराना नाम श्रीमाला नगर था जो श्रीमाली ब्राम्हीन का उत्त्पत्ति स्थान हैलक्ष्मीजी के कहने से श्री विश्वकर्मा जी ने नगर बनाया था , जिनका आकार माला जैसा होने के कारन श्री विश्वकर्मा जी ने ही उनका नाम श्रीमाला नगर रखा थालक्ष्मी जी को ब्रम्हीन प्रिया होने के कारन इस नगर मैं रहने के लिए ब्रम्हिनो को बुलाया था बाद मैं भील लोगो ने इस नगर पर कब्ज़ा जमाया अतः इस नगर का नाम भील्माल हो गयाजो अभी भीनमाल के नाम से प्रचलित हैभील लोगो के त्रास से ही ब्रम्हिनो ने ये नगर छोड़ दिया बाद मैं ये सभी श्रीमाली ब्राह्मिन, श्रीमाली वनिक (दशा अवं वीसा ) के रूप मैं जाने गएश्रीमाली ब्रह्मिन के १४ गोत्र है , सभी गोत्र की कुल देवी माँ अवं कुल देवता महादेव जी भीनमाल मैं बिराजमान है यह जानकारी स्कन्द पूरण से पाए जाती है

शनिवार, 25 जुलाई 2009

आगे के विचार


माताजी  की इच्छा से हमारा विचार है की मन्दिर पर आने वाले भक्तो के लिए ठहेरनी की व्यवस्था की जाए, इस विचार से हम २ या ३ कमरे बनवाना चाहते है। मेरी आपसब भक्तो से प्रार्थना है की आप अपने परिवार के साथ एक बार माताजी के दर्शन को अवय्श्य पधारे।


आप माताजी के बारे मैं ज्यादा जानकारी के लिए मुझे लिख सकते है । 

बुधवार, 14 जनवरी 2009

नमस्कार...

ये ब्लॉग हमारी कुलदेवी माँ वटयक्शनी  जो पराशर गोत्र के ब्राह्मणों की कुल देवी है उनके लिए बनाया गया है। माँताज़ी का मन्दिर राजस्थान के भीनमाल स्थित शहर के पास एक छोटे से गाँव आल्दी मैं स्थित है। भीनमाल से तक़रीबन १५ किलोमीटर दूर है आल्दी गावं। दो साल पहले ये एक छोटा सा मन्दिर था जिसमें एक साथ २ भक्त भी खड़े नही रह सकते थे, माँ के कुछ भक्त जो गुजरात से थे उन्होंने नया मन्दिर बनवाया व् माताजी की प्रतिमाजी जो की पुराणी थी उनके साथ एक नई प्रतिमाजी का भी स्थापन किया।