VATYAKSHNI MATAJI - KULDEVI OF PARASHAR GOTRA SHREEMALI BRAHMINS
Maa vatyakshni, kuldevi of Parashar gotra Shreemali brahmin, temple located at Aaldi gam, Bhinmal, Rajasthan. 15 kms away from Bhinmal city of Rajasthan. A small temple was there previously, now a new temple is been made by devotee of mataji from Gujarat. keep watching this blog for further developments. Jai Mataji
मंगलवार, 18 जून 2013
इतिहास
भीनमाल नगर प्राचीनकाल में गुजरात राज्य की राजधानी था । राजस्थान के जालोर जिले का भीनमाल का मूल नाम श्रीमाला नगर था जो श्रीमाली ब्रह्मिन का उत्त्पति स्थान है। मा लक्ष्मीजी की इच्छा से विश्वकर्मा जी ने ये नगर बनवाया था, नगर का आकार माला के आकार जैसा होने के कारन विश्वकर्मा जी ने ही स्वयम् इस नगर का नाम श्रीमाला नगर रखा था। लक्ष्मी जी को ब्राम्हिन अति प्रिय थे अतः उन्होंने इस नगर मैं ब्रम्हिनो को रहने को बुलाया बादमें भील लोगो ने इस नगर पर कब्जा जमाया तबसे ये नगर भिनमाल के नाम से मशहूर हुवा | भील लोगो के त्रास से ही ब्रम्हिनो ने ये नगर छोड़ दिया बाद मैं ये सभी श्रीमाली ब्राह्मिन, श्रीमाली वनिक (दशा अवं वीसा ) के रूप मैं जाने गए।श्रीमाली ब्रह्मिन के १४ गोत्र है , सभी गोत्र की कुल देवी माँ अवं कुल देवता महादेव जी भीनमाल मैं बिराजमान है।यह जानकारी स्कंद्पुरान से पाए जाती है।
यह नगर संस्कृत कवि श्री मेघाजी ओर गनितग्य ब्रम्हा गुप्ता जी का जन्म स्थल है |
शनिवार, 26 फ़रवरी 2011
यग्न शाला अवं विश्राम गृह
माताजी के आशीर्वाद से और आप सब के साथ सहकार से माताजी के स्थान मैं यग्न शाला बनाने का काम शुरू हो गया है। अगले महीने की दिनांक १२ (१२-०३-२०११ ) को विश्राम गृह का भी भूमि पूजन निर्धारित किया गया है। माताजी का आशीर्वाद और आप सब का सहकार मिला तो बहुत जल्द ही यग्न शाला अवं विश्राम गृह का कार्य समाप्त हो जायेगा।
मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010
ध्रोल मैं माताजी का मंदिर का पाटोत्सव
आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभकामना ।
शहर ध्रोल, जिल्ला जामनगर , गुजरात मैं माताजी का नया मंदिर बनाया गया है , मंदिर का पाटोत्सव बुधवार १० नवम्बर, २०१० को आयोजित किया गया है। आप सब को हार्दिक निमंत्रण।
गुरुवार, 19 नवंबर 2009
शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
इतिहास
राजस्थान के जालोर जिले का भीनमाल नगर का पुराना नाम श्रीमाला नगर था जो श्रीमाली ब्राम्हीन का उत्त्पत्ति स्थान है। लक्ष्मीजी के कहने से श्री विश्वकर्मा जी ने नगर बनाया था , जिनका आकार माला जैसा होने के कारन श्री विश्वकर्मा जी ने ही उनका नाम श्रीमाला नगर रखा था। लक्ष्मी जी को ब्रम्हीन प्रिया होने के कारन इस नगर मैं रहने के लिए ब्रम्हिनो को बुलाया था बाद मैं भील लोगो ने इस नगर पर कब्ज़ा जमाया अतः इस नगर का नाम भील्माल हो गया। जो अभी भीनमाल के नाम से प्रचलित है। भील लोगो के त्रास से ही ब्रम्हिनो ने ये नगर छोड़ दिया बाद मैं ये सभी श्रीमाली ब्राह्मिन, श्रीमाली वनिक (दशा अवं वीसा ) के रूप मैं जाने गए।श्रीमाली ब्रह्मिन के १४ गोत्र है , सभी गोत्र की कुल देवी माँ अवं कुल देवता महादेव जी भीनमाल मैं बिराजमान है।
यह जानकारी स्कन्द पूरण से पाए जाती है।
शनिवार, 25 जुलाई 2009
आगे के विचार
माताजी की इच्छा से हमारा विचार है की मन्दिर पर आने वाले भक्तो के लिए ठहेरनी की व्यवस्था की जाए, इस विचार से हम २ या ३ कमरे बनवाना चाहते है। मेरी आपसब भक्तो से प्रार्थना है की आप अपने परिवार के साथ एक बार माताजी के दर्शन को अवय्श्य पधारे।
आप माताजी के बारे मैं ज्यादा जानकारी के लिए मुझे लिख सकते है ।
बुधवार, 14 जनवरी 2009
नमस्कार...
ये ब्लॉग हमारी कुलदेवी माँ वटयक्शनी जो पराशर गोत्र के ब्राह्मणों की कुल देवी है उनके लिए बनाया गया है। माँताज़ी का मन्दिर राजस्थान के भीनमाल स्थित शहर के पास एक छोटे से गाँव आल्दी मैं स्थित है। भीनमाल से तक़रीबन १५ किलोमीटर दूर है आल्दी गावं। दो साल पहले ये एक छोटा सा मन्दिर था जिसमें एक साथ २ भक्त भी खड़े नही रह सकते थे, माँ के कुछ भक्त जो गुजरात से थे उन्होंने नया मन्दिर बनवाया व् माताजी की प्रतिमाजी जो की पुराणी थी उनके साथ एक नई प्रतिमाजी का भी स्थापन किया।
ये ब्लॉग हमारी कुलदेवी माँ वटयक्शनी जो पराशर गोत्र के ब्राह्मणों की कुल देवी है उनके लिए बनाया गया है। माँताज़ी का मन्दिर राजस्थान के भीनमाल स्थित शहर के पास एक छोटे से गाँव आल्दी मैं स्थित है। भीनमाल से तक़रीबन १५ किलोमीटर दूर है आल्दी गावं। दो साल पहले ये एक छोटा सा मन्दिर था जिसमें एक साथ २ भक्त भी खड़े नही रह सकते थे, माँ के कुछ भक्त जो गुजरात से थे उन्होंने नया मन्दिर बनवाया व् माताजी की प्रतिमाजी जो की पुराणी थी उनके साथ एक नई प्रतिमाजी का भी स्थापन किया।
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